सावन के मौसम में
इंतज़ार रहता है,
इंतज़ार रहता है उस पहली बाछड का,
जो प्रकृति को जीवन दान देती है|
जिसके बरसने से,
धरती की प्यास बुझती है,
चिड़ियाँ चहक उठती है,
और चारो और हरियाली ही हरियाली छा जाती है|
प्रकृति तो क्या इन्सान भी,
इन्सान भी इस मौसम का लुफ्त उठाता है,
कभी बारिश में भीगता है,
तो कभी आँगन में बैठ
चाय की चुसकी लेता है|
ये बारिश,
ये बारिश, कम्बक्त, चीज़ ही ऐसी है
जब भी आती है
तो पूरा जहाँ
खुशियों से भर जाता है,
सृष्टि, नाचती है,
और मोर गाता है
सावन के मौसम में
हम सब को,
उस पहली बाछड का,
इंतज़ार रहता है|
सृजन- ऋषिका
–XxXxX–
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