मैं टूटे हैंडल सी 

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मैं टूटे हैंडल सी 
दुनिया की नज़रो मैं नकारी गई
फिर भी जीवन जीती हूँ
और तमाम दुखों को सहती हूँ|
***
मन में एक आशा लिए की
पता नहीं जीवान में कब
दुखों की रात को चिरती हुई
खुशीयों की रौशनी आयेगी
और देखते देखते सब बदल जयेगी…
फिर से मेरे वजुद को दुनिया पहचानेगी
और मेरा जीवान में
फिर से खुशियाँ लहलहाएंगी|
***
मैं टूटे हैंडल सी
दुनिया की नज़रो मैं नकारी गई
फिर भी जीवन जीती हूँ
और तमाम दुखों को सहती हूँ|
ऋषिका सृजन

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