वो तेरा मुझसे कुछ कहता है

यूँ जो तू तकता रहता है
आसमान को हर बार क्या
कोई रहता है इसमें
या फिर है कोई उम्मीद
जिसे तू हर पल तलाशता है।
***
 

हाँ है कोई दूर वहाँ 
उन तारों में जिसे
हर पल देखा करती थी मैं यहाँ
उसकी यादों से मुझे 
जिंदगी जीने की सीख मिलती है 
हौसला बुलंद होता है
उम्मीद मिलती है।

***

पर आसमान में जब 
काले बदल छाते हैं
और आशाओं पर पर्दा पड़ता है
तो चीर के मायूसियों को
मानो वह तारा मुझसे कुछ कहता है
की उठ अब तू कुछ खुद करके दिखा
मेरी यादों को दिल में ज़िन्दा रख
और ज़माने को ललकार के दिखा।

–XxXxX–

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वो पहली बारिश

 

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सावन के मौसम में
इंतज़ार रहता है,
इंतज़ार रहता है उस पहली बाछड का,
जो प्रकृति को जीवन दान देती है|

जिसके बरसने से,
धरती की प्यास बुझती है,
चिड़ियाँ चहक उठती है,
और चारो और हरियाली ही हरियाली छा जाती है|

प्रकृति तो क्या इन्सान भी,
इन्सान भी इस मौसम का लुफ्त उठाता है,
कभी बारिश में भीगता है,
तो कभी आँगन में बैठ
चाय की चुसकी लेता है|

ये बारिश,
ये बारिश, कम्बक्त, चीज़ ही ऐसी है
जब भी आती है
तो पूरा जहाँ
खुशियों से भर जाता है,
सृष्टि, नाचती है,
और मोर गाता है
सावन के मौसम में
हम सब को,
उस पहली बाछड का,
इंतज़ार रहता है|  

सृजन- ऋषिका

–XxXxX–

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भाई बहन का प्यार

 

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जिसमे प्यार भी हो

तकरार भी और थोड़ी नोक-झोक भी हो

एक ऐसा ही तो है

भाई बहन का प्यार|

***

एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते

पर जब साथ हो तो

लड़े बिना रह नहीं सकते

बस ऐसा ही होता है इनका प्यार|

***

चाहे कैसी भी हो शैतानी

कोई सुख-दुःख हो या परेशानी

हमेशा एक साथ रहते है

और यही है उनकी एकता की निशानी|

***

जब साथ हो तो एक दूसरे

की कदर नहीं करते

पर जब दूर हो तो

उसकी एहमियत पता चलती है|

***

यह एक ऐसे रिश्ता है

जो तोड़े नहीं टूटता है

चाहे रहे कितने भी दूर

एक दूसरे के साथ हमेशा रहते है|  

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ऋषिका – सृजन 

–XxXxX–

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वाह रे दुनिया

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कहने को तो दुनिया
बदल रही हैं
हर पल हर वक्त
पर अपनों को ही अपनों से
दूर कर रही है|

पहले का दौर भी
क्या हसीन हुआ करता था
सब एक साथ
हँसते- गूनगुनाते, खाते-पीते थे
साथ बात–चीत करके दुःख-सुख बाँटते थे|

पर आज के
बदलते दौर ने
यह सब खुशियाँ छीन ली है
अब लोग एक साथ रह कर
भी एक साथ नहीं होते|

इस बदलाव का कारण कुछ और नहीं
बल्कि प्रोधोगिकी है
जहाँ इसने जीवन जीने का
ज़रिया आसन बनाया है
वहीं अपनो को अपनो से अलग कर दिखाया है|

आज कल परिवार के साथ कम
और गैजेट के साथ ज़्यादा
समय व्यतीत करते है
ये इन्सान की मुर्खता ही तो है
जो  इसे जीवन जीने का ज़रिया बनाता जा रहा है|

वह दिन दूर नही
जब परिवार और रिश्ते- नातो
का कोइ मोल न रह जायेग
और सब बस प्रोधोगिकरण
के गुलाम बनकर रह जाएगे|

अब भी वक्त है
रोक लो अपने आप को
नही तो तरसते रह जाओगे
परिवार और प्यार की खातिर
वक्त जो बीत जायेग वह फिर कभी लौट के न आएगा|

ऋषिका सृजन 

–XxXxX–

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मेरी नानी, मेरी जान

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दुनिया में माँ से बढ़कर
कोई नहीं होता
पर मेरे लिए मेरी पूरी दुनिया
मेरी नानीमाँ है
जितना प्यार माँ से करती हूँ
उससे कहीं ज्यादा नानीमाँ से करती हूँ|

कहते है माँ का स्थान सबसे ऊँचा होता है
पर मेरे जीवन में वह स्थान
नानीमाँ को प्राप्त है
जीतना प्यार में उनसे करती हूँ
उतना ही वो भी मुझसे करती है|

नहीं तो कौन सी ऐसी नानी होगी
जो बूढ़ापे में अपनी नाती को
अपनी बेटी से बढ़कर प्यार दे
रात दिन उसकी सेवा करे
उसे पाल पोसकर जीवन के लिए तैयार करे |

जब-जब मुझे लगा में जीवन
के संधर्श में हार रही हूँ
तब-तब नानी मेरा सहारा और
मुसीबत से लड़ने की ताकत बनी
और मुसीबत का डट कर सामना किया|

मुझे हिंदी भाषा से डर लगता था
हरदम मै उससे दूर भागती थी
पर आज जो मैने हिंदी में बी.ए किया
और ढ़ेरो कविताएँ लिखी उसका
श्रेय मेरी नानी को जाता है|

मेरा जीवन आपके बिना अधुरा है
नानी, आप हो तो मैै हूँ
भगवान से मिली एक अमूल्य भेंट हो
आपका अस्तित्व सदैव मेरे जीवन का अटूट अंग रहेगा|  

ऋषिका सृजन 

–XxXxX–

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