सावन के मौसम में
इंतज़ार रहता है,
इंतज़ार रहता है उस पहली बाछड का,
जो प्रकृति को जीवन दान देती है|
जिसके बरसने से,
धरती की प्यास बुझती है,
चिड़ियाँ चहक उठती है,
और चारो और हरियाली ही हरियाली छा जाती है|
प्रकृति तो क्या इन्सान भी,
इन्सान भी इस मौसम का लुफ्त उठाता है,
कभी बारिश में भीगता है,
तो कभी आँगन में बैठ
चाय की चुसकी लेता है|
ये बारिश,
ये बारिश, कम्बक्त, चीज़ ही ऐसी है
जब भी आती है
तो पूरा जहाँ
खुशियों से भर जाता है,
सृष्टि, नाचती है,
और मोर गाता है
सावन के मौसम में
हम सब को,
उस पहली बाछड का,
इंतज़ार रहता है|
सृजन- ऋषिका
–XxXxX–
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nishchit……tapti ret ko jaldhara tapti dhup ke baad bauchhar mil jaaye phir kyaa kahna….bahut badhiya.
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धन्यवाद
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बहुत खूब सही फरमाया
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शुक्रिया माँ
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😘
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बहुत बढ़िया तपती धूप मैं इंसान तो क्या प्रकृति को भी पहली बारिश का इनताजार रहता हैं
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धन्यवाद माँ
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वाह वाह…..क्या बात क्या बात
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शुक्रिया जी
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